एलुमिनियम का इस्तेमाल बड़ी-बड़ी कंपनियों और इंडस्ट्रियों में किया जाता है. इसके अलावा इसका प्रयोग एलुमिनियम फॉइल बनाने के लिए भी किया जाता है. इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि आखिर एलमुनियम से एलुमिनियम फॉइल कैसे बनाया जाता है और आखिर हम खाना पैक करने के लिए एल्युमीनियम फॉइल का ही क्यों इस्तेमाल करते हैं.
कैसे बनता है एलुमिनियम फॉइल
बता दें कि अल्मुनियम फॉइल को बनाने की सारी प्रक्रिया मशीनों के द्वारा पूरी की जाती है. इसमें मिक्स मेटल वाले धातु का प्रयोग किया जाता है, इस प्रक्रिया में सबसे पहले धातु को तेज आग पर पर पिघलाया जाता है फिर इसको रोलिंग मिल प्रक्रिया से गुजारा जाता है, और इस दौरान इसमें सेंसर का ख्याल रखते हुए आगे का काम पूरा होता है.
इसके बाद मिल का प्रेशर अगर 0.01 प्रतिशत भी ऊपर-नीचे हुआ तो एल्युमीनियम फॉइल खराब हो जाता है और मेटल सूखने के बाद मोड़ने लायक नहीं बचता है. इसको बनने के बाद एक और परेशानी वर्कर्स के सामने आती है, क्योंकि एलमुनियम की परत काफी छोटी हो जाती है जिससे उसको दोबारा मोड़ा नहीं जा सकता. इस समस्या को दूर करने के लिए इस पर एक और सिल्वर की परत चढ़ाई जाती है उसके बाद ही एलुमिनियम फॉइल पूरी तरह से बनकर तैयार होता है.
अल्मुनियम फॉयल का इस्तेमाल खाना पैक करने के अलावा बहुत सारे कामों में किया जाता है. वहीं बता दें ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि अल्मुनियम फॉयल में बैक्टीरिया और मॉइश्चर अंदर नहीं जा पाता है जिसकी वजह से खाना एकदम सुरक्षित रहता है. और इसीलिए खाना पैकिंग के दौरान एलमुनियम फॉइल का इस्तेमाल किया जाता है.